Wednesday, June 10, 2020

Tuesday, February 2, 2010

कारपोरेट गीता-सार

आज के गलाकाट जमाने में किसी निजी कम्पनी में कार्यरत (अर्जुन) के लिये गीता-सार -
हे पार्थ,वेतनवृद्धि नहीं मिली, बुरा हुआतनख्वाह में कटौती हो रही है, बुरा हो रहा हैकर्मचारियों की छँटनी होगी, वह भी बुरा ही होगा...तुम पिछली वेतनवृद्धि न होने का पश्चाताप ना करोतुम आने वाली वेतनवृद्धि के न होने की भी चिंता ना करोतालाबन्दी होने वाली है... जो होना है वह होकर रहेगा...तुम्हारी जेब से क्या गया जो तुम रोते हो ?तुम कम्पनी के लिये क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया ?तुम कोई (एक्स्पीरियंस) लेकर नहीं लेकर आये थे...जो अनुभव लिया कम्पनी से लिया, जो काम किया कम्पनी के लिये कियाडिग्री लेकर आये थे, अनुभव लेकर चले जाओगे....जो काम आज तुम्हारा हैवह कल किसी और का होगा, परसों किसी और का होगा...तुम इसे अपना समझकर क्यों मगन हो रहे हो...यही (खुशी) तुम्हारे दु:ख का कारण है वत्सक्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो...कौन तुम्हें निकाल सकता है ?(पालिसी चेंज) कम्पनी का नियम है...जिसे तुम (पालिसी चेंज) कहते हो, वह मैनेजमेण्ट की चाल हैएक पल में तुम सुपरवाइजर बन जाते हो...दूसरे ही पल में (डेली वेजेस) वाले बन जाते हो...समीक्षा, वेतनवृद्धि, प्रमोशन आदि-आदि से मन को हटा दो.....विचार से मिटा दो, फिर कम्पनी तुम्हारी है, तुम कम्पनी के हो....ना ये वेतनवृद्धि वगैरह तुम्हारे लिये है, ना तुम इसके काबिल होपरन्तु नौकरी बरकरार है, फिर तुम्हें (टेंशन) क्यों है ?तुम अपने आपको कम्पनी को अर्पित कर दोयही सबसे उत्तम नियम है, जो इस उत्तम नियम को जान जाता है,वह (असेसमेण्ट), पुरस्कार, वेतनवृद्धि, प्रमोशन, छँटनी, तालाबन्दी...आदि समस्त चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है...।सिफऱ् अपना कर्म करो पार्थ... फल मैनेजमेण्ट पर छोड दो...ओम शांति...

कारपोरेट गीता-सारआज

कारपोरेट गीता-सारआज के गलाकाट जमाने में किसी निजी कम्पनी में कार्यरत (अर्जुन) के लिये गीता-सार -
हे पार्थ,वेतनवृद्धि नहीं मिली, बुरा हुआतनख्वाह में कटौती हो रही है, बुरा हो रहा हैकर्मचारियों की छँटनी होगी, वह भी बुरा ही होगा...तुम पिछली वेतनवृद्धि न होने का पश्चाताप ना करोतुम आने वाली वेतनवृद्धि के न होने की भी चिंता ना करोतालाबन्दी होने वाली है... जो होना है वह होकर रहेगा...तुम्हारी जेब से क्या गया जो तुम रोते हो ?तुम कम्पनी के लिये क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया ?तुम कोई (एक्स्पीरियंस) लेकर नहीं लेकर आये थे...जो अनुभव लिया कम्पनी से लिया, जो काम किया कम्पनी के लिये कियाडिग्री लेकर आये थे, अनुभव लेकर चले जाओगे....जो काम आज तुम्हारा हैवह कल किसी और का होगा, परसों किसी और का होगा...तुम इसे अपना समझकर क्यों मगन हो रहे हो...यही (खुशी) तुम्हारे दु:ख का कारण है वत्सक्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो...कौन तुम्हें निकाल सकता है ?(पालिसी चेंज) कम्पनी का नियम है...जिसे तुम (पालिसी चेंज) कहते हो, वह मैनेजमेण्ट की चाल हैएक पल में तुम सुपरवाइजर बन जाते हो...दूसरे ही पल में (डेली वेजेस) वाले बन जाते हो...समीक्षा, वेतनवृद्धि, प्रमोशन आदि-आदि से मन को हटा दो.....विचार से मिटा दो, फिर कम्पनी तुम्हारी है, तुम कम्पनी के हो....ना ये वेतनवृद्धि वगैरह तुम्हारे लिये है, ना तुम इसके काबिल होपरन्तु नौकरी बरकरार है, फिर तुम्हें (टेंशन) क्यों है ?तुम अपने आपको कम्पनी को अर्पित कर दोयही सबसे उत्तम नियम है, जो इस उत्तम नियम को जान जाता है,वह (असेसमेण्ट), पुरस्कार, वेतनवृद्धि, प्रमोशन, छँटनी, तालाबन्दी...आदि समस्त चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है...।सिफऱ् अपना कर्म करो पार्थ... फल मैनेजमेण्ट पर छोड दो...ओम शांति...

Saturday, May 9, 2009